Akbar Birbal ki kahani | अकबर-बीरबल की अनोखी कहानियां

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Akbar and Birbal ki kahaniyan

Akbar Birbal ki kahani – अकबर और बीरबल की कहानियाँ हमेशा ज्ञान, समझदारी और हास्य से भरी होती हैं। ये कहानियाँ अकबर के शासन काल की हैं, जिनमें बीरबल उनके प्रधान मंत्री थे। कहानियों में अकबर, जो एक महान सम्राट थे, और बीरबल, जो अपनी चतुराई और बुद्धिमता के लिए जाने जाते थे, दोनों के बीच में दिलचस्प और समझदारी भरी बातें होती हैं

इन कहानियों की सच्चाई को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है, क्योंकि इनमें से कुछ घटनाएँ वास्तविक हो सकती हैं, जबकि कुछ पूरी तरह काल्पनिक भी हो सकती हैं। हम यह नहीं कह सकते कि इनमें से कौन सी कहानी सच्ची है और कौन सी काल्पनिक, लेकिन यह निश्चित है कि इनसे मिलने वाली शिक्षा अत्यधिक मूल्यवान है।

इन कहानियों के माध्यम से हम बीरबल की तीव्र बुद्धि, समझदारी और त्वरित निर्णय लेने की क्षमता को महसूस करते हैं। उनके द्वारा दिए गए उत्तर और समाधान अकबर को भी प्रभावित करते थे, और उनके हाजिरजवाबी से अकबर जैसे महान सम्राट भी अक्सर चकित हो जाते थे। इन कहानियों में जीवन के कई महत्वपूर्ण पाठ छिपे हुए हैं, जैसे धैर्य, न्याय, समझदारी और चतुराई की महत्ता।( Akbar Birbal ki kahani )

आज भी इन कहानियों की प्रासंगिकता बनी हुई है, क्योंकि वे समय की कसौटी पर खरी उतरती हैं। चाहे शिक्षा, समाज या किसी अन्य संदर्भ में, इनका महत्व कभी कम नहीं होगा। ये कहानियाँ हमें जीवन को समझने, सही मार्ग पर चलने और हर परिस्थिति में सही निर्णय लेने की प्रेरणा देती हैं।

एक बार अकबर ने बीरबल से कहा, मुझे एक पेंटिंग चाहिए। कृपया एक पेंटिंग बनाइए और एक सप्ताह में मुझे दे दीजिए।”

अकबर का आदेश सुनकर बीरबल थोड़े हैरान हो गए।

“महाराज, मैं एक मंत्री हूँ, पेंटिंग कैसे बना सकता हूँ?”

अकबर गुस्से में बोले, “क्या आप मेरे आदेश को नकार रहे हैं?” फिर उन्होंने आदेश दिया, “आपके पास एक सप्ताह है, एक शानदार पेंटिंग बनाईए, नहीं तो मैं आपको फांसी दे दूँगा।”

बीरबल के मन में एक विचार आया। एक सप्ताह बाद, वह कपड़े में लिपटी हुई एक पेंटिंग लेकर दरबार में आए। उन्होंने पेंटिंग खोली, और अकबर हैरान रह गए, क्योंकि कैनवास पर केवल ज़मीन और आसमान की पेंटिंग थी।

“यह क्या है, बीरबल?” अकबर ने हैरान होकर पूछा।

“महाराज, यह पेंटिंग मैंने अपनी कल्पना से बनाई है। जैसा कि आप देख सकते हैं, यह घास खाती हुई गाय की पेंटिंग है।”

“लेकिन गाय और घास कहाँ हैं?” अकबर ने गुस्से में पूछा।

“महाराज, गाय ने सारी घास खा ली है।”

“तो गाय कहाँ है?” अकबर ने पूछा।

“जहाँपनाह, अब जब गाय ने सारी घास खा ली है, तो वह बंजर ज़मीन पर क्या करेगी? इसलिए वह अपने खलिहान में चली गई।

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शाही बगीचे में बीरबल के साथ टहलते हुए अकबर ने मुस्कुराते हुए कहा, “मुझे लगता है कि मेरे लोग मुझसे बहुत प्यार करते हैं।”

बीरबल ने जवाब दिया, “आप सही कह रहे हैं महाराज, लेकिन लोग आपसे डरते भी हैं।”

अकबर ने हैरान होकर कहा, “मुझे यह बात विश्वास नहीं होती।”

“मैं आपको यह साबित कर दूंगा, जहांपनाह,” बीरबल ने कहा और अकबर को अपनी योजना बताई।

अगले दिन अकबर ने घोषणा की कि वह खतरनाक शिकार के लिए जंगल में जा रहे हैं। इसके साथ ही उसने यह आदेश दिया कि उसकी प्रजा शाही महल के प्रांगण में रखे बड़े टब में एक कप दूध डाले, ताकि यह शाही प्रार्थना का हिस्सा बने।

अगले दिन जब अकबर लौटे, तो उन्होंने देखा कि टब में पानी जैसा दूध भरा हुआ था। कई लोगों ने सिर्फ़ पानी डाला, यह सोचकर कि इससे दूसरों को भी दूध मिल जाएगा और उनका पानी छिप जाएगा।

अगले दिन अकबर ने फिर वही घोषणा की, लेकिन इस बार उसने यह चेतावनी दी कि वह दूध डालने वालों की जांच करेंगे। जब अकबर वापस लौटे, तो उसने देखा कि टब ताजे दूध से भरा हुआ था।

“क्या मैंने आपको नहीं कहा था, सर?” बीरबल ने मुस्कुराते हुए पूछा। “इस बार लोगों ने शुद्ध दूध डाला क्योंकि उन्हें डर था कि आपको यह पता चल जाएगा कि दूध नहीं डाला गया है। आपके लोग आपकी परवाह करते हैं, लेकिन वे आपसे डरते भी हैं, और इसलिए इस बार उन्होंने टब को दूध से भर दिया।”

अकबर ने बीरबल की बुद्धि का परीक्षण करने के लिए एक चाल चलने का निर्णय लिया। उन्होंने अपने दरबारियों को गुप्त रूप से बुलाया, उन्हें एक योजना समझाई और एक अंडा दिया। अगले दिन अकबर ने अपने सभी दरबारियों से कहा कि वे अंडे को अपने कपड़ों में छिपाकर लाएंगे।

अकबर ने दरबारियों से कहा, “मुझे कल रात एक सपना आया, जिसमें यह दिखा कि उनके ईमानदारी का सबसे अच्छा परीक्षण यह होगा कि वे अंडा लेकर आएं। इसलिए, मैं चाहता हूँ कि आप सभी शाही तालाब से एक-एक अंडा लेकर लाएं। जो अंडा लाएगा, वह वफ़ादार है, और जो नहीं लाएगा, वह वफ़ादार नहीं है।”

सभी दरबारी तालाब के पास जाते हैं और एक-एक करके अंडे निकाल कर लाते हैं। जल्द ही बीरबल की बारी आई। वह तालाब के पास जाता है, लेकिन उसे कहीं भी अंडा नहीं मिलता। वह तालाब के चारों ओर, झाड़ियों और पेड़ों के नीचे खोजता है, लेकिन उसे कोई अंडा नहीं मिलता।

चिंतित होकर बीरबल दरबार में लौट आता है। दरबारी उसे शक्की नजरों से घूर रहे थे और आपस में मुस्कुरा रहे थे। जैसे ही बीरबल अकबर के सिंहासन के पास पहुँचता है, वह अचानक मुर्गे की आवाज़ निकालता है। इस अप्रत्याशित हरकत से अकबर और सभी दरबारी हैरान रह जाते हैं।

अकबर ने पूछा, “बीरबल, तुमने ऐसा क्यों किया?”

बीरबल मुस्कराए और जवाब दिया, “महाराज, केवल मुर्गियाँ ही अंडे देती हैं। क्योंकि सभी दरबारियों ने अंडे पेश किए, इसका मतलब वे सभी मुर्गियाँ हैं। चूँकि मैं मुर्गा हूँ, इसलिए मैं अंडा नहीं दे सकता।”

कुछ क्षणों के लिए पूरा दरबार सन्नाटे में डूबा रहता है, फिर अकबर हंसी से फूट पड़ते हैं और उसके बाद सभी दरबारी भी हंसने लगते हैं। बीरबल ने फिर से अपनी बुद्धि का अद्भुत प्रदर्शन किया।

एक दिन अकबर ने अपने दरबार में घोषणा की, “मेरे पास एक समस्या है, और मुझे इसका तुरंत समाधान चाहिए।”

“कल शाम को किसी ने मेरी मूंछ का एक बाल उखाड़ने की हिम्मत की। उस व्यक्ति को क्या सजा दी जानी चाहिए?”

अदालत में हलचल मच गई।

प्रधानमंत्री ने कहा, “उसे कोड़े मारे जाएं!”

“नहीं, उसे राज्य से बाहर निकाल देना चाहिए!” राजकोष मंत्री ने कहा।

सभी दरबारी अधिकतम सजा की मांग कर रहे थे। इस शोर-शराबे के बीच बीरबल चुपचाप बैठे रहे।

अकबर ने पूछा, “बीरबल, क्या तुम्हारे पास कहने के लिए कुछ नहीं है?”

“जहाँपनाह, मैं आपको उस व्यक्ति को मिठाई देने की सलाह देता हूँ,” बीरबल ने शांति से कहा।

सारा दरबार सन्न रह गया। बीरबल के इस उत्तर से सभी दरबारी चौंक गए।

अकबर हैरान होकर बोले, “बीरबल, तुम मुझे ऐसा कैसे कह सकते हो? उस व्यक्ति को इनाम देने की बात कर रहे हो, जिसने मेरी मूंछ खींची?”

बीरबल मुस्कुराते हुए जवाब देते हुए बोले, “महाराज, आपकी मूंछों को छूने की हिम्मत करने वाला एकमात्र व्यक्ति आपका पोता है। मुझे पूरा यकीन है कि आप उसे मिठाई देने से इनकार नहीं करेंगे।”

अकबर को अपनी गलती का अहसास हुआ और वह हंसते हुए बीरबल की बुद्धिमत्ता की सराहना करने लगे।

एक दिन अकबर एक पड़ोसी राज्य की ओर लंबी यात्रा पर जा रहे थे। गर्मी से वे परेशान थे और उन्होंने बीरबल से अपनी कठिन यात्रा के बारे में शिकायत की।

बीरबल ने कहा, “अगर चाहें तो मैं इस रास्ते को छोटा कर सकता हूं।”

अकबर हैरान होकर बोले, “सचमुच? अगर ऐसा संभव हो तो कृपया इसे छोटा कर दें।”

बीरबल ने मुस्कुराते हुए कहा, “ज़रूर, महाराज, लेकिन उसके लिए आपको पांच पहेलियाँ सुलझानी होंगी।”

अकबर ने सहमति दे दी और बीरबल ने एक के बाद एक पहेलियाँ पूछनी शुरू कर दीं। अकबर को इन पहेलियों को हल करने में समय लगा और वह पूरी तरह से ध्यान केंद्रित करके उन्हें सुलझाने में लग गए।

जब अकबर ने पांचवीं पहेली हल कर ली, तो उसने गर्व से कहा, “तुम रास्ता छोटा नहीं कर सके, और मैंने तुम्हारी सारी पहेलियाँ हल कर दीं।”

बीरबल मुस्कुराते हुए बोले, “लेकिन मैंने रास्ता छोटा कर दिया है, हुजूर। हम तो अपने गंतव्य पर पहुँच चुके हैं।”

अकबर ने देखा कि वे अपने गंतव्य तक पहुँच चुके थे।

एक दिन अकबर ने बीरबल से पूछा, “अगर तुम्हें सोने के सिक्के और न्याय के बीच चुनाव करना हो, तो तुम क्या चुनोगे?”

बीरबल बिना समय गंवाए जवाब देते हुए बोला, “मैं निश्चित रूप से सोने का सिक्का चुनूंगा, जहांपनाह।”

अकबर हैरान हुए और दरबार में सभी लोग चुप हो गए। बीरबल का यह उत्तर सभी को चौंका गया।

अकबर ने थोड़ी निराशा के साथ कहा, “बीरबल, मुझे इस उत्तर की उम्मीद नहीं थी। न्याय तो सोने के सिक्के से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।”

बीरबल मुस्कुराते हुए बोला, “मुझे खेद है महाराज, लेकिन मेरा मानना है कि जो चीज हमारे पास नहीं होती, वही हमें चाहिए होती है। आपके शासन में हर जगह न्याय सुनिश्चित किया गया है, लेकिन मुझे पैसों की कमी है। इसलिए, मैंने सोने का सिक्का चुना।”

अकबर बीरबल की समझदारी से प्रभावित हुए और उसे 100 स्वर्ण मुद्राएं इनाम में दीं।

एक बार अकबर ने अपने दरबार में सभी दरबारियों से पूछा, “बताओ, किस नदी का पानी सबसे अच्छा है?”

सभी दरबारी एकमत से बोले, “गंगा का पानी सबसे अच्छा होता है।”

लेकिन बीरबल चुप रहे। अकबर ने उनकी चुप्पी पर ध्यान दिया और पूछा, “बीरबल, तुम चुप क्यों हो?”

बीरबल मुस्कुराते हुए बोले, “हुजूर, सबसे अच्छा पानी यमुना नदी का होता है।”

यह उत्तर सुनकर अकबर हैरान हो गए और बोले, “तुमने ऐसा क्यों कहा? तुम्हारे धर्मग्रंथों में तो गंगा के पानी को सबसे पवित्र और शुद्ध बताया गया है, फिर तुम कैसे कह सकते हो कि यमुना का पानी सबसे अच्छा है?”

बीरबल ने शांति से जवाब दिया, “हुजूर, मैं पानी की तुलना अमृत से नहीं कर सकता। गंगा में बहने वाला पानी केवल पानी नहीं, बल्कि अमृत है। इसलिए मैंने कहा कि यमुना का पानी सबसे अच्छा है, क्योंकि वह सिर्फ पानी ही है, कोई अमृत नहीं।”

अकबर और सभी दरबारी चुप हो गए, और उन्हें स्वीकार करना पड़ा कि बीरबल सही कह रहे थे।

निष्कर्ष –

अकबर-बीरबल की कहानियाँ ( Akbar Birbal ki kahani ) बच्चों के लिए मजेदार, हास्यपूर्ण और प्रेरणादायक नैतिक शिक्षा से भरपूर होती हैं, जो उनकी कल्पना को उजागर करती हैं और सोने से पहले सुनने के लिए बिल्कुल उपयुक्त हैं। कुल मिलाकर, ये कहानियाँ आपको और आपके बच्चों को पढ़ने और सीखने का एक अद्भुत अनुभव प्रदान करेंगी।( Akbar Birbal ki kahani )

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