Gautam Buddha Story | गौतम बुद्ध की अनोखी कहानियां

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Gautam Buddha Story – गौतम बुद्ध की जीवन यात्रा एक प्रेरणादायक और महत्वपूर्ण कहानी है, जो हमें जीवन के असली उद्देश्य और दुखों से मुक्ति प्राप्त करने का मार्ग दिखाती है।

गौतम बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व में नेपाल के लुंबिनी में हुआ था। उनका असली नाम सिद्धार्थ था और वे शाक्य वंश के राजकुमार थे। सिद्धार्थ का प्रारंभिक जीवन ऐश्वर्य और सुख-सुविधाओं से भरा हुआ था। लेकिन एक दिन जब उन्होंने महल से बाहर निकलकर बुढ़ापे, बीमारी, मृत्यु और संन्यासी को देखा, तो यह दृश्य उनके जीवन में एक बड़ा मोड़ बन गया। इसने उन्हें यह समझाया कि जीवन में दुख अवश्यंभावी है और हर जीव को इसका सामना करना पड़ता है।

इस समझ के बाद सिद्धार्थ ने अपने महल और परिवार को त्यागने का निर्णय लिया और सत्य की खोज में निकल पड़े। उन्होंने कठोर तपस्या की और कई आचार्यों से शिक्षा ली, लेकिन वे संतुष्ट नहीं हो पाए। अंततः, बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे ध्यान करते हुए उन्हें आत्मज्ञान प्राप्त हुआ और वे “बुद्ध” के रूप में प्रसिद्ध हुए।

बुद्ध ने यह उपदेश दिया कि जीवन में दुख का मुख्य कारण तृष्णा (इच्छा) है, और जब हम इसे छोड़ देते हैं, तभी हम मुक्ति पा सकते हैं। उन्होंने चार आर्य सत्य और आठ मार्ग का प्रचार किया, जो दुख से मुक्ति पाने के प्रभावी उपाय बताते हैं।

बुद्ध का जीवन यह सिखाता है कि आत्मज्ञान और साधना के माध्यम से हम जीवन के दुखों से पार पा सकते हैं। उन्होंने 80 वर्ष की आयु में कुशीनगर में परिनिर्वाण प्राप्त किया, लेकिन उनके उपदेश आज भी लोगों के जीवन को मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। इस पोस्ट में आपको गौतम बुद्ध से जुड़ी कुछ प्रेरणादायक कहानियाँ ( Gautam Buddha Story ) मिलेंगी।

                                                   1.गौतम बुद्ध की कहानी - परेशानियों से डरे नहीं, उनका सामना करें


गौतम बुद्ध कौशांबी नगर में निवास कर रहे थे। वहां की रानी ने बुद्ध का अपमान करने के लिए विभिन्न तरीकों से उन्हें परेशान करना शुरू कर दिया। रानी ने अपने कुछ लोगों को बुद्ध का विरोध करने और उन्हें तंग करने के लिए भेजा था।

रानी के आदेश पर वे लोग बुद्ध का निरंतर अपमान कर रहे थे, लेकिन बुद्ध ने अपनी ओर से कुछ भी प्रतिक्रिया नहीं दी। इस दौरान बुद्ध के साथ उनका शिष्य आनंद भी था।

आनंद ने एक दिन बुद्ध से कहा, “मालूम होता है कि ये लोग जानबूझकर हमें अपमानित कर रहे हैं। हमें ऐसे लोगों के बीच रुकने की कोई आवश्यकता नहीं है। हमें यहां से चले जाना चाहिए।”

बुद्ध ने आनंद से पूछा, “हम कहां जाएंगे?”

आनंद ने उत्तर दिया, “किसी ऐसे स्थान पर चले जाएंगे, जहां ऐसे लोग न हों।”

बुद्ध ने हंसते हुए कहा, “अगर वहां भी हमें ऐसी ही परेशानियां मिलीं, तो फिर हम कहां जाएंगे? और हम कब तक भागते रहेंगे? अपमान तो एक समस्या है, लेकिन हम अहिंसा, धैर्य, विनम्रता और शालीनता के साथ उसका सामना करेंगे।”

बुद्ध ने इस प्रकार आनंद को यह सिखाया कि हमें किसी भी स्थिति में अपनी शांति और धैर्य को बनाए रखना चाहिए और चुनौतियों का सामना सकारात्मक तरीके से करना चाहिए।

सिख - इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि हमें जीवन की कठिनाइयों और अपमान का सामना धैर्य, समझदारी, और शांति के साथ करना चाहिए।
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                                        2.गौतम बुद्ध की कहानी - किसी व्यक्ति के लिए पहले से ही कोई राय न बनाएं


गौतम बुद्ध का एक खास शिष्य था, जिसका नाम धम्माराम था। वह धम्माराम आश्रम में अपना काम करता और काम पूरा करने के बाद एकांत में चला जाता था। वह किसी से ज्यादा बात-चीत भी नहीं करता था और हमेशा चुपचाप अपने कार्य में लगा रहता था।

धीरे-धीरे, जब धम्माराम का अकेले रहना बढ़ने लगा, तो अन्य शिष्यों को लगा कि उसे घमंड हो गया है। उन्होंने बुद्ध से धम्माराम की शिकायतें करनी शुरू कर दीं। एक दिन, बुद्ध ने सभी शिष्यों के सामने धम्माराम से पूछा, "तुम ऐसा क्यों करते हो?"

धम्माराम ने शांतिपूर्वक उत्तर दिया, "गुरुजी, आपने कहा था कि कुछ दिनों बाद आप इस संसार को छोड़ देंगे। इस पर मैंने सोचा कि जब आप हमें छोड़ देंगे, तो हमारे पास सीखने के लिए क्या रहेगा? इसीलिए मैंने यह निर्णय लिया कि मैं एकांत और मौन का सही से अभ्यास करूंगा, ताकि आपके जीवित रहने तक मैं इसे अच्छे से समझ सकूं।"

बुद्ध ने शिष्यों से कहा, "तुम सभी ने धम्माराम के कार्यों को एक अलग तरीके से समझा। तुम्हारी आदत है कि तुम दूसरों की बुराई करते हो, इसीलिए तुमने धम्माराम की अच्छाई को भी गलत रूप में लिया।"

इस प्रकार, बुद्ध ने शिष्यों को यह सिखाया कि हमें किसी के आचरण का सही अर्थ समझने की कोशिश करनी चाहिए और बिना किसी आधार के आलोचना नहीं करनी चाहिए।


सिख - इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि हमें किसी व्यक्ति को ठीक से जाने बिना उसके बारे में कोई राय नहीं बनानी चाहिए।
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                                                                   3.गौतम बुद्ध की कहानी - चरित्रहीन


एक बार महात्मा बुद्ध एक गांव में पहुंचे। वहां एक स्त्री ने उन्हें देखा और उनसे पूछा, "आप तो किसी राजकुमार जैसे दिखते हैं, फिर आपने युवावस्था में गेरुआ वस्त्र क्यों धारण किए हैं?"

बुद्ध ने उत्तर दिया, "मैंने तीन महत्वपूर्ण सवालों के जवाब ढूंढने के लिए संन्यास लिया है। पहला यह कि हमारा शरीर जो युवा और आकर्षक होता है, वह समय के साथ वृद्ध होगा, फिर बीमार पड़ेगा और अंततः मृत्यु को प्राप्त होगा। मुझे वृद्धावस्था, बीमारी और मृत्यु के कारणों का ज्ञान प्राप्त करना है।"

बुद्ध की यह बात सुनकर स्त्री बहुत प्रभावित हुई और उसने उन्हें अपने घर भोजन के लिए आमंत्रित किया।

जैसे ही यह बात गांव के लोगों को पता चली, वे सभी बुद्ध से अनुरोध करने लगे कि वह उस स्त्री के घर न जाएं, क्योंकि वे उसे चरित्रहीन मानते थे।

बुद्ध ने फिर गांव के सरपंच से पूछा, "क्या यह बात सही है?" सरपंच ने भी गांव वालों की बातों से सहमति जताई। तब बुद्ध ने सरपंच का एक हाथ पकड़कर कहा, "अब ताली बजाकर दिखाइए।"

सरपंच हैरान होकर बोला, "यह असंभव है, एक हाथ से ताली नहीं बज सकती।"

बुद्ध मुस्कराए और कहा, "ठीक इसी तरह कोई स्त्री अकेले ही चरित्रहीन नहीं हो सकती। यदि इस गांव के पुरुष चरित्रहीन नहीं होते, तो वह स्त्री भी चरित्रहीन नहीं हो सकती थी।"

बुद्ध की यह बात सुनकर गांव के सभी पुरुष लज्जित हो गए और वे अपनी गलती को समझते हुए शर्मिंदा हुए।

सिख - यह कहानी हमें समाज में जिम्मेदारी, आत्ममंथन और दूसरे के दृष्टिकोण को समझने की महत्वपूर्ण शिक्षा देती है।
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                                                 4.गौतम बुद्ध की कहानी - क्रोधी व्यक्ति का जीवन बदल देगी


एक दिन गौतम बुद्ध अपने शिष्यों के साथ शांतिपूर्वक बैठे थे। उनका मौन देख शिष्य चिंतित हो गए और सोचने लगे कि कहीं वह अस्वस्थ तो नहीं हैं। एक शिष्य ने शंका व्यक्त करते हुए पूछा, "आज आप मौन क्यों हैं? क्या शिष्यों से कोई गलती हो गई है?" इसी दौरान एक अन्य शिष्य ने पूछा, "क्या आप अस्वस्थ हैं?" लेकिन बुद्ध चुप रहे।

तभी कुछ दूर खड़ा एक व्यक्ति चिल्लाया, "आज मुझे सभा में बैठने की अनुमति क्यों नहीं दी गई?" बुद्ध ने अपनी आंखें बंद की और ध्यान में मग्न हो गए। वह व्यक्ति फिर से चिल्लाया, "मुझे सभा में प्रवेश की अनुमति क्यों नहीं मिली?"

इसी बीच एक उदार शिष्य ने उस व्यक्ति का पक्ष लिया और कहा, "उसे सभा में आने की अनुमति दी जानी चाहिए।" बुद्ध ने अपनी आंखें खोलीं और कहा, "नहीं, वह अछूत है, उसे अनुमति नहीं दी जा सकती।"

यह सुनकर शिष्य चौंक गए और बोले, "हमारे आश्रम में जात-पात का कोई भेद नहीं है, तो वह अछूत कैसे हो सकता है?"

तब बुद्ध ने समझाया, "वह आज क्रोधित होकर आया है। क्रोध व्यक्ति की मानसिक शांति को बिगाड़ देता है और उससे हिंसा की संभावना बनती है। इसलिए जब तक वह क्रोध में है, वह अछूत है। उसे कुछ समय अकेले रहकर शांत होना चाहिए।"

वह क्रोधित व्यक्ति भी बुद्ध की बातें सुन रहा था, और अब उसे एहसास हुआ कि क्रोध ही मानसिक अशांति और हिंसा का कारण बनता है। वह पश्चाताप करते हुए बुद्ध के चरणों में गिर पड़ा और दृढ़ निश्चय किया कि वह अब कभी भी क्रोध नहीं करेगा।

सिख - यह कहानी हमें यह सिखाती है कि हमें क्रोध से दूर रहकर शांति और संयम बनाए रखना चाहिए और हमेशा अहिंसा और अच्छे आचरण की ओर अग्रसर होना चाहिए।

निष्कर्ष –

गौतम बुद्ध का जीवन और उनकी कहानियाँ (Gautam Buddha Story) हमें यह सिखाती हैं कि दुख जीवन का एक अवश्यम्भावी हिस्सा है, लेकिन इसके बावजूद आत्मज्ञान और साधना के जरिए हम मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं। उनका जीवन और उपदेश यह समझाते हैं कि असली शांति हमारे भीतर ही समाहित है, और हमें अपनी इच्छाओं और आसक्तियों से मुक्त होकर इस शांति को प्राप्त करना चाहिए। बुद्ध के उपदेश आज भी दुनिया भर में लाखों लोगों के जीवन को मार्गदर्शन और दिशा प्रदान करते हैं।

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